तुलसीदास

By:
Beauty Kumari,
Student of SJMC Sem.-3rd
School of Journalism & Mass Communication

 

था, भक्त सुधारक था,
कवि था ज्ञानी था,
परहितकारि था,
हिन्दी माता के मंदिर का एक अनन्य पूजारी था!

गोस्वामी तुलसीदास भारत के एक महान कवि थे। उनका जन्म शुक्ल पक्ष सप्तमि के दिन अदभुत मूल नक्षत्र में प्रयागराज के पास चित्रकूट जिले में राजापुर नामक गाँव में हुआ था। वैसे तो बच्चा माँ के गर्भ में र्नौ महीने हीं रहता है। परन्तु गोस्वामी तुलसीदास बारह महीने रहने के उपरांत जन्म लिया, और जंमते हीं बालक ने रोया नहीं बल्कि राम का नाम लिया। जिसके कारण उनका नाम रामबोला पड़ गया। उनकी हावभाव पाँच वर्ष के बालक के जैसी थी। उनकी माता हुलसी और पिता आत्माराम दोनों हिं इस अद्भुत बालक को देखकर अमंगल की आशंका से भयभीत हो उठे, और वही हुआ। जन्म के दूसरे हीं उनकी माता की मृत्यु हो गई, उसके कुछ हीं समय बाद पिता की भी मृत्यु हो गई। तब दासी चुनिया ने पाँच वर्ष तक उनकी लालन पालन की। उसके बाद उसकी भी मृत्यु हो गई, तुलसीदास अब बिलकुल अकेले पड़ गए थे। तब जगतजननी माता पार्वती ने एक ब्राहमणि का रूप धर उनका लालन पालन किया। फिर श्री आनंतानंद जी के प्रीय शिष्य श्री नरहर्यानंद जी ने उन्हें अयोध्या ले जाकर शिक्षा दीक्षा दी। फिर तुलसीदास जी काशी में शेषसनातक जी के पास रह कर पंद्रह वर्ष तक वेद-वेदांग का अध्ययन किया। फिर वे अपनी जन्मभूमि लौट आये। वहाँ एक सुंदर कन्या से विवाह किया। वे सुख पूर्वक रहने लगे। एक बार उनकी पत्नी मायके चली गई, तुलसीदास से रहा नहीं गया वे भी उनके पीछे पीछे चले गये, इसपर पत्नि ने उन्हे धिकारा और कहा मेरे हाड़-मांस कि शरीर में जितनी तुम्हारी आसक्ति है उसकी आधी अगप प्रभु में होती तो तुम्हारा उद्धार हो जाता। यह सुन उन्हें बहुत दुःख हुआ, वे वापस आये गृहस्त जीवन त्याग साधु वेश धारण कर लिया। और काशी चले गए। काशी में वे राम कथा कहने लगे। वहाँ उन्हें एक प्रेत की मदत से हनुमान जी से भेंट हुई। और हनुमान जी की मदत से प्रभु श्री राम के दर्शन हुए। वहाँ से वे अयोध्या चल पड़े। वहाँ उन्होंने कई पुस्तकों की रचनाएँ की जैसे श्री रांचारित्रमानस्, हनुमान बाहुक्, विनय पत्रिका, गीतावली, कवितावली इत्यादि। फिरभी इतनी रचनाओं के बाद भी वे अपने बारे में लिखते हैं।

कवि न होई, नहीं चतुर कहाऊँ,
मती अनुरूप रामगुण गाऊँ।
कवित विवेक एक नहीं मोरे,
सत्य कहहूँ लिखी कागज कोरे।